रक्षाबंधन का इतिहास क्या है

रक्षाबंधन का इतिहास क्या है 


पोरस और एलेग्जेंडर की कहानी सिकंदर ने 329 ईसा पूर्व में भारत पर आक्रमण किया था लेकिन सिकंदर की पत्नी को पता था कि भारत में पोरस ही एक ऐसा राजा है जिससे सिकंदर हार सकता है। इस वजह से उन्होंने पोरस को राखी भेजी और युद्ध में अपने पति की जान मांगी और पोरस में भी उनकी राखी स्वीकार की और युद्ध में सिकंदर की जान न लेने की कसम खाई।

इंद्र देव की कहानी :-

भविष्य पुराण के मुताबिक असुर राजा बाली ने देवताओं पर हमला किया था, तो उस समय देवताओं के राजा इंद्र को काफी क्ष्यय पहुंची थी। इंद्र की पत्नी से ऐसी स्थिति देखी नहीं गई फिर मैं विष्णु जी के पास गई और उनसे समाधान मारने लगी तब विष्णु जी ने सची को एक धागा दिया और कहा कि वह इस भाग्य को अपने पति की कलाई पर बाधे। ऐसा करने पर इंद्र के हाथो राजा बलि की पराजय हो गई इसलिए पुराने जमाने में युद्ध में जाने से पहले सभी पत्नियां और बहने अपने पति और भाई की कलाई पर रक्षा का धागा बांधती है 

कृष्ण और द्रौपदी की कहानी:-

जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल को मारा था तो उनके हाथ खून में सन गए थे फिर द्रौपदी अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर कृष्ण जी के हाथ में बाध दिया था। जिसके बदले श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को मुसीबत के समय सहायता करने का वचन दिया।

महाभारत की कहानी:-

माना जाता है कि जब युधिष्ठिर ने कृष्ण जी से पूछा कि वह सारे संकटों को कैसे पार कर सकता हैं तो कृष्ण जी ने उन्हें रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की सलाह दी।

संतोषी मां की कहानी:-

गणेश जी के दोनों पुत्रों को कोई बहन नहीं थी इसलिए उन्होंने अपने पिता से जिद की कि उन्हें भी एक बहन चाहिए इसलिए तब नारद जी के हस्ताक्ष्ये करने पर बाध्य होकर भगवान गणेश को अपनी शक्ति का प्रयोग कर संतोषी माता को उत्पन्न करना पड़ा। दोनों भाइयों ने रक्षाबंधन के मौके पर ही अपनी बहन को पाया था।

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