महालवाड़ी व्यवस्था क्या थी? इसके गुण एवं दोषों पर प्रकाश डालिए?

रैयतवाड़ी और मारवाड़ी व्यवस्था क्या है 


ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा आसन 1822 में उत्तर प्रदेश पंजाब मध्य प्रदेश में लागू की गई भू राजस्व की प्रणाली थी। यह भू राजस्व भारत के 30% भूभाग पर लागू किया गया इसके पहले कंपनी बंगाल में स्थानीय बंदोबस्त तथा मुंबई मद्रास आदि में रैयतवाड़ी वाली लागू कर चुकी थी ।

गांव के मुखिया को नंबरदार कहा जाता था जिसका कार्य गांव से लगान वसूल कर कंपनी को देना था। गांव को महाल कहे जाने के कारण इस व्यवस्था का नाम मारवाड़ी व्यवस्था पड़ा।

इस व्यवस्था की अवधारणा सर्वप्रथम होल्ड मैकेन्जी ने 1819 ईसवी में दिया 1822 के रेगुलेशन के अनुसार कुल भूभाग का 95% निश्चित किया गया गया था और इसे लगान वसूलने के अत्यधिक कठोरता बनाई गई थी।


मारवाड़ी अवस्था के तहत कुल 30% भूमि आई इस व्यवस्था में महाल या गांव के ज़मींदारों या प्रधानों से बंदोबस्त किया गया इसमें गांव के प्रमुख किसानों को भूमि से बेदखल करने का अधिकार था। मारवाड़ी व्यवस्था के तहत लगान का निर्धारण महाल या संपूर्ण गांव के उपज के आधार पर किया जाता था

मारवाड़ी व्यवस्था के गुण

इस प्रणाली का प्रमुख गुण इस तथ्य में नहीं था कि लगान की राशि विभिन्न तरह की जमीन तथा उनकी हुई उत्पादन क्षमता पर निर्धारित की गई थी लगान की यह राशि निर्धारित समय तक प्राप्त की जाती थी

मारवाड़ी व्यवस्था के दोष 

मारवाड़ी व्यवस्था प्रणाली का सबसे बड़ा दोष यह था कि गांव के नंबरदार एवं बड़े लोगों को विशेषाधिकार मिल गए थे क्योंकि यही लोग सरकार के समझौता पर हस्ताक्षर करते थे।

गांव के छोटे किसान अनपढ़ थे एवं उनका दर्जा भी इस व्यवस्था में कम हो गया था।

मारवाड़ी व्यवस्था की प्रमुख विशेषता क्या थी।

अवस्था के अंतर्गत भू-राजस्व प्रति क्षेत्र के स्थान पर प्रति ग्राम या जागीर के आधार पर आधारित किया गया इसमें गांव का मुखिया भूपति गांव के शब्द किस कृषि कुओं से भू राजस्व की रकम वसूली कर कोष जमा करता था। समस्त महान या ग्राम सम्मिलित रूप से राजस्व जमा करने हेतु उत्तरदाई थे।

मारवाड़ी व्यवस्था क्यों लागू की गई।

लार्ड हेस्टिंग्स द्वारा मध्य प्रांत, आगरा एवं पंजाब के क्षेत्रों में एक नई भू-राजस्व व्यवस्था लागू की गई,  जिसे महालवाड़ी व्यवस्था नाम दिया गया। 

इसके तहत कुल 30% भूमि आई। इस व्यवस्था में महाल या गांव के ज़मींदारों या प्रधानों से बंदोबस्त किया गया। इसमें गांव के प्रमुख किसानों को भूमि से बेदखल करने का अधिकार था।


Post a Comment

0 Comments