• सामान्य कारण।
•विशेष प्रकार के राज्यों में क्रांति के कारण।
क्रांति के सामान्य कारण- अरस्तु ने क्रांतियों के सामान्य कारणों पर विचार करते हुए रिंकू दो भागो में विभक्त किया है समानता तथा न्याय प्राप्त करने की उत्कट अभिलाषा असमानता को अरस्तु ने क्रांति का महत्व पूर्ण कारण बताया है उसका विचार है कि समानता प्रत्येक क्रांति का कारण होती है परंतु जहां असमानता बहुत अधिक होती है वहां क्रांति अवश्य भाभी हो जाति है समानता की तीव्र भावना भी क्रांतियों को जन्म देती हैं अरस्तु ने दो प्रकार की समानताएं बताएं हैं तथा अनुपातिक समानता। लोग होम समानता प्राप्त करनी की तीव्र इच्छा रखते हैं समाज ने कुछ हे लोग ऐसे होते हैं जिन्हें विशेष अधिकार प्राप्त रहते हैं जिससे क्रांति को जन्म मिलता है
क्रांति के विशेष कारण:-
•लाभ की इच्छा - जब शासक या शासक वर्ग सार्वजनिक कल्याण को त्याग कर अपना स्वार्थ पूरा सर ने की चिंता ने लग जाते हैं तो लोग उस शासक के विरुद्ध आवाज उठाते हैं एवं उसके करण परिवर्तन होता।
सम्मान की इच्छा- सम्मान पाने की इच्छा प्रत्येक व्यक्ति में होती है परंतु हेलो
जब शासक वर्ग किसी को अनुचित ढंग से सम्मान देता है तो जनता के विद्रोह के लिए प्रेरित होती है और इस प्रकार क्रांति हो जाती हैं।
घृष्टता- जब शासक
घृष्टतावश जनहित की ऐसा नहीं करता तो ऐसे शासक को विरुद्ध जनता आवाज उठाती है।
अरस्तु के दासा संबंधित विचारों पर प्रकाश।
दास प्रथा का विवेचन अरस्तु के विचारों में एक महत्वपूर्ण पर विवादास्पद विषय है क्योंकि अरस्तु एक पक्का यूनानी था साथ ही अनुदारवादी इसलिए दास प्रथा को बताना तथा उसके औचित्य को दर्शना उसके लिए आवश्यक था जहां प्लेटो अपने रिपब्लिक में इसका कोई उल्लेख नहीं करता और लॉज मैं ताशों को कृषि कार्य हेतु आवश्यक मानता है वही अरस्तु दास प्रथा को एक संस्था गत दिवस था के रूप ने देखता है परिवार को सामुदायिक जीवन की प्राथमिक इकाई बताता है।
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