रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है

रक्षाबंधन का क्या मतलब है:-

रक्षाबंधन का पर्व दो शब्द से मिलकर बना है "रक्षा" और "बंधन ". संस्कृत भाषा के अनुसार इस पर्व का मतलब होता है कि एक ऐसा बंधन ज्योति रक्षा प्रदान करता है यहां पर रक्षा का मतलब रक्षा प्रदान करना होता है और बंधन का मतलब एक गांठ एक डोर जो की रक्षा प्रदान करें रक्षाबंधन भाई बहन का प्रतीक माना जाता है रक्षाबंधन भाई बहन के पवित्र रिश्ते को बताता है कि घर में खुशियां लेकर आता है इसके अलावा यह त्यौहार भाईयों को याद दिलाता है कि इन्हें अपनी बहन की रक्षा करनी चाहिए।

रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है

रक्षाबंधन का त्योहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि यह एक भाई का अपने बहन के प्रति कर्तव्य को जाहिर करता है वही इसे केवल सगे भाई बहन ही नहीं बल्कि कोई भी स्त्री और पुरुष जो कि इस पर्व की मर्यादा को समझते हैं वह इसका पालन कर सकते हैं

इस त्यौहार के दौरान एक बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी है वही वह भगवान से यह मानती है कि उसका भाई हमेशा खुश रहें और स्वस्थ रहें वही भाई भी अपनी बहन को बदले में कोई तोहफा प्रदान करता है और यह प्रतिज्ञा करता है कि कोई भी विपत्ति आ जाए वो वह अपनी बहन की हमेशा रक्षा करेगा.

साथ में वह भी भगवान से अपने बहन की लंबी उम्र और अच्छी स्वास्थ्य की मनोकामना करता है वहीं इस त्यौहार का पालन कोई भी कर सकता है फिर चाहे वो सगे भाई बहन हो या न हो. इस लिए रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है।

रक्षाबंधन का इतिहास क्या है 

पोरस और एलेग्जेंडर की कहानी सिकंदर ने 329 ईसा पूर्व में भारत पर आक्रमण किया था लेकिन सिकंदर की पत्नी को पता था कि भारत में पोरस ही एक ऐसा राजा है जिससे सिकंदर हार सकता है। इस वजह से उन्होंने पोरस को राखी भेजी और युद्ध में अपने पति की जान मांगी और पोरस में भी उनकी राखी स्वीकार की और युद्ध में सिकंदर की जान न लेने की कसम खाई।

इंद्र देव की कहानी :-

भविष्य पुराण के मुताबिक असुर राजा बाली ने देवताओं पर हमला किया था, तो उस समय देवताओं के राजा इंद्र को काफी क्ष्यय पहुंची थी। इंद्र की पत्नी से ऐसी स्थिति देखी नहीं गई फिर मैं विष्णु जी के पास गई और उनसे समाधान मारने लगी तब विष्णु जी ने सची को एक धागा दिया और कहा कि वह इस भाग्य को अपने पति की कलाई पर बाधे। ऐसा करने पर इंद्र के हाथो राजा बलि की पराजय हो गई इसलिए पुराने जमाने में युद्ध में जाने से पहले सभी पत्नियां और बहने अपने पति और भाई की कलाई पर रक्षा का धागा बांधती है 

कृष्ण और द्रौपदी की कहानी:-

जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल को मारा था तो उनके हाथ खून में सन गए थे फिर द्रौपदी अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर कृष्ण जी के हाथ में बाध दिया था। जिसके बदले श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को मुसीबत के समय सहायता करने का वचन दिया।

महाभारत की कहानी:-

माना जाता है कि जब युधिष्ठिर ने कृष्ण जी से पूछा कि वह सारे संकटों को कैसे पार कर सकता हैं तो कृष्ण जी ने उन्हें रक्षाबंधन का त्योहार मनाने की सलाह दी।

संतोषी मां की कहानी:-

गणेश जी के दोनों पुत्रों को कोई बहन नहीं थी इसलिए उन्होंने अपने पिता से जिद की कि उन्हें भी एक बहन चाहिए इसलिए तब नारद जी के हस्ताक्ष्ये करने पर बाध्य होकर भगवान गणेश को अपनी शक्ति का प्रयोग कर संतोषी माता को उत्पन्न करना पड़ा। दोनों भाइयों ने रक्षाबंधन के मौके पर ही अपनी बहन को पाया था।

रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है:-

सभी त्योहारों की तरह ही रक्षाबंधन को मनाने की एक विधि होती है जिसका पालन बहुत ही आवश्यक होता है तो रक्षाबंधन के दिन में सुबह जल्दी उठ कर नहा लेना होता है इससे मन और शरीर दोनों ही पवित्र हो जाता है

फिर सबसे पहले भगवान की पूजा की जाती है पूरे घर को साफ कर चारों तरफ गंगाजल का छिड़काव किया जाता है 

अब बात आती है राखी बांधने की. राखी बांधने के लिए इसमें पहले राखी की थाली को सजाया जाता है. रक्षाबंधन के पवित्र त्यौहार के दिन पीतल की थाली में राखी, चंदन, दीपक, कुमकुम, हल्दी, चावल के दाने नारियल और मिठाई रखी जाती हैं।

अब भाई को बुलाया जाता है और मैं साफ आदमी नीचे दिखाया जाता है फिर शुरू होता है राखी बांधने की विधि सबसे पहले जहर खा लीजिए जो जलाती है फिर बहन भाई के माथे पर तिलक चंदन लगाती है. वहीं फिर भाई की आरती करती है.


उसके बाद वह अक्षत फेंकती हुई मंत्रों का उच्चारण करती है और फिर भाई की कलाई में राखी बांधती है वहीं फिर उसे मिठाई भी खिलाती हैं यदि भाई बड़ा हुआ तब चरण स्पर्श करती हैं वहीं छोटा हुआ तब छोटा भाई बहन के चरण स्पर्श करता है।

अब भाई अपनी बहन को भेंट प्रदान करता है जिसे कि बहन खुशी खुशी लेती है एक और बात है कि जब तक राखी की विधि पूरी ना हो जाए तब तक दोनों को भूखा ही रहना पड़ता है इसके पश्चात राखी की रस्म पूरी होती है








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